WELCOME TO CHOPASNI SHIKSHA SAMITI
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चौपासनी शिक्षा समिति के बारे में
मारवाड़ के मरूस्थल मे चौपासनी विद्यालय की कल्पना तत्कालीन महाराजा सर प्रताप सिंह जी की थी। इसी उद्देश्य को लेकर सत्र 1875 में चालु किए गए दो छोटे छोटे विद्यालयों को सन् 1886 में मिलाकर पॉवलेट नोबल स्कूल का स्वरूप दिया। राजा महाराजाओं एवं उच्च वर्ग के लड़को की शिक्षा के लिए सत्र 1886-87 में एक छात्रावास की व्यवस्था की गयी। विद्यालय धीरे-धीरे प्रगति की और बढ रहा था। 1891-92 में यहां से अनेक छात्र मेयो कॉलेज अजमेर गये। 1894-95 में स्कूल जसवंतपुरा फिर जालौर दुर्ग तत्पश्चात् सूरसागर मे आ गया। सन् 1911-12 में भवन निर्माण की योजना बनी और 1914 से चौपासनी स्कूल अनवरत चल रहा है। विद्यालय का पूरा खर्चा राज दरबार से किया जाता था वर्ष 1949 से इसका संचालन करने के लिए चौपासनी शिक्षा समिति बनायी गयी। इस स्कूल को महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा सुमेर सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी, महाराजा हनवंत सिंह जी का समय-समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा है।
संस्था के पंजीकृत संविधान के अनुसार महाराजा गजसिंह जी मुख्य संरक्षक है। इनके निर्देशानुसार संस्था निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर है। शिक्षा प्रसार की दृष्टि के माध्यम से महाराजा हनवंत माध्यमिक विद्यालय ;अंग्रेजी माध्यम तथा श्री उम्मेद विशिष्ट पूर्व प्राथमिक विद्यालय भी चौपासनी स्कूल के साथ जोड़े गए। वर्ष 2007 से चौपासनी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय भी शिक्षा समिति द्वारा संचालित किया जा रहा है।
1. चौपासनी स्कूल मे महाराजा गजसिंह ब्लांक का निर्माण कार्य विज्ञान कक्ष के रूप मे करवाया गया। इस कक्ष पर राशि रू 1.50 करोड़ व्यय की गयी।
2. शिक्षा प्रसार के क्रम मे मेयो कालेज अजमेर की गवर्निग कौसिंल के साथ एम.ओ.यू. दिनांक 19.01.2012 मे कर मयूर चौपासनी स्कूल सत्र 2012-13 से प्रारम्भ की गयी जो आज अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान रखती है।
3. चौपासनी स्कूल की प्रतिष्ठा सैन्य सेवाओं मे अपना स्थान रखती है। यहां के छात्रो ने विक्टोरिया क्रोस परमवीर च्रक सहित अनेक पदक प्राप्त किए है। पूर्व की उपलब्धियों को ध्यान में रखकर यहॉ के विद्यार्थियो को एन.डी.ए. में सफलता मिले इसके लिए अतुल शौर्य ऐकेडमी के साथ एम.ओ.यू. किया है जिसके माध्यम से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी की जा सकेगी।
4. राजस्थानी भाषाए साहित्यए संस्कृति तथा कला के विकास के लिए राजस्थानी शोध संस्थान जिसकी स्थापना 1955 में की गयी थी। उसका एम.ओ.यू. मेहरानगढ म्यूजियम ट्रस्ट के साथ किया गया है।
महाराजा साहब के निर्देश पर ही चौपासनी विश्वविद्यालय के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इस विश्वविद्यालय मे ऐसे पाठ्यक्रमो को प्राथमिकता दी जायेगी जिससे यहॉ से निकलने वाले छात्रो को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले।
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महाराजा सर प्रताप सिंह
मारवाड़ के मरूस्थल मे चौपासनी विद्यालय की कल्पना तत्कालीन महाराजा सर प्रताप सिंह जी की थी। इसी उद्देश्य को लेकर सत्र 1875 में चालु किए गए दो छोटे छोटे विद्यालयों को सन् 1886 में मिलाकर पॉवलेट नोबल स्कूल का स्वरूप दिया। राजा महाराजाओं एवं उच्च वर्ग के लड़को की शिक्षा के लिए सत्र 1886-87 में एक छात्रावास की व्यवस्था की गयी। विद्यालय धीरे-धीरे प्रगति की और बढ रहा था। 1891-92 में यहां से अनेक छात्र मेयो कॉलेज अजमेर गये। 1894-95 में स्कूल जसवंतपुरा फिर जालौर दुर्ग तत्पश्चात् सूरसागर मे आ गया। सन् 1911-12 में भवन निर्माण की योजना बनी और 1914 से चौपासनी स्कूल अनवरत चल रहा है। विद्यालय का पूरा खर्चा राज दरबार से किया जाता था वर्ष 1949 से इसका संचालन करने के लिए चौपासनी शिक्षा समिति बनायी गयी। इस स्कूल को महाराजा सरदार सिंह जी, महाराजा सुमेर सिंह जी, महाराजा उम्मेद सिंह जी, महाराजा हनवंत सिंह जी का समय-समय पर मार्गदर्शन मिलता रहा है।
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उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हमारे संस्थान
उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हमारे संस्थान
1. महाराजा हनवंत सीनियर सैकेण्डरी स्कूल
2. चौपासनी सीनियर सैकेण्डरी स्कूल
3. मयूर चौपासनी स्कूल
4. श्री उम्मेद पूर्व प्राथमिक विद्यालय
5. चौपासनी महाविद्यालय -
उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए हमारे संस्थान
1. महाराजा हनवंत सीनियर सैकेण्डरी स्कूल
2. चौपासनी सीनियर सैकेण्डरी स्कूल
3. मयूर चौपासनी स्कूल
4. श्री उम्मेद पूर्व प्राथमिक विद्यालय
5. चौपासनी महाविद्यालय
Mayoor Chopasani School
We started our first glorious session 2012-13. Thus began a journey to learn through experiences, observations, hard work and commitments. The school tries to develop in students the ability to ‘create’ as against ‘copy’ by providing an experiential learning curriculum in the formative years.
Maharaja Hanwant Sainik School Chopasani
Maharaja Hanwant Sainik School has English as medium of instruction from Nursery through X standard. This secondary course is affiliated to the Board of Secondary Education, Rajasthan.
Chopasani Sr. Secondary school
In 1875 two small schools, the first of their kind in Rajputana, were started for the sons of the nobles, which in 1886 were combined and re-organized under name “PowlettNobles’s School ”, so named after Col. Powlett, the then Resident.
Chopasani Collage
Chopasni College for student is one of the prestigious Managed and run by Chopasni Shiksha Samiti is located at Chopasni Road, Near Chopasni Village, Jodhpur District, Rajasthan.
Rajasthan Sodh Sansthan
Rajasthan has been the “heart-land” of India there are many glorious legends of sacrifice, virility, devotion and they glorified Indian history on one hand and fascinated audiences world over through differing aspects of cultural and performing arts.
Rajasthani Sabd kosh
Rajasthani is a rich language and the need of a comprehensive Dictionary was desperately felt. This would facilitate not only the study in Rajasthani language but also of several languages in the Indo-European languages.
Maharaja Ummed Pre Primary Girls Chopasani School
MaharajaUmaid Special Pre-Primary School, Chopasni, Jodhpur inparts Montesary system of education to children from balghar to the Vth standards. This school is duly recognised and aided (90%) by the Governments of Rajasthan.